
अमीना का पुरवा बना नरक का द्वार: कौशाम्बी प्रशासन की चुप्पी शर्मनाक“
ग्रामीणों की चीखें दबा रहा सिस्टम, सड़क नहीं — कीचड़, गड्ढे और तड़पती ज़िंदगियाँ हैं यहां
संवाददाता: प्रभाकर मिश्र
कौशाम्बी जिले के ग्राम सभा अमीना के पुरवा में हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इंसान की गरिमा, अधिकार और जीने का हक – सब धूल फांक रहे हैं। गाँव के मुख्य मार्ग की हालत ऐसी है जैसे प्रशासन ने जानबूझकर लोगों को नरक में धकेल दिया हो। चारों ओर कीचड़, विशाल गड्ढे और रास्तों पर पानी का जमाव — यह तस्वीर है अमीना के पुरवा की, जहां सरकार की योजनाएं कागज़ों पर दम तोड़ रही हैं।
👉 मुख्य मार्ग या मौत का रास्ता?
जो रास्ता गांव को बाहर की दुनिया से जोड़ता है, वह वर्षों से टूटा पड़ा है। गड्ढे इतने गहरे हैं कि बरसात में लोग उसमें गिरकर घायल हो चुके हैं। स्कूली बच्चे फिसलते हैं, महिलाएं गिरती हैं, और मरीजों को अस्पताल पहुंचाना तो किसी जंग से कम नहीं।
👉 ग्राम प्रधान और अधिकारी बने ‘मूक दर्शक‘
ग्रामीणों ने दर्जनों बार शिकायत की, ज्ञापन दिए, गुहार लगाई — लेकिन ग्राम प्रधान और क्षेत्रीय अधिकारियों ने कोई सुध नहीं ली। पंचायत में हर साल लाखों का बजट आता है, लेकिन अमीना के पुरवा तक उसका असर क्यों नहीं पहुंचता?
👉 जनता का सवाल – क्या हमारा गांव यूपी में नहीं?
ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि “या तो अधिकारी सो रहे हैं, या फिर जानबूझकर हमें नजरअंदाज किया जा रहा है। क्या हमारा गांव उत्तर प्रदेश से बाहर है जो कोई सुनवाई नहीं होती?
👉 बुज़ुर्ग बोले – हमने आज़ादी देखी, विकास नहीं
80 वर्षीय ग्रामीण रामऔतार कहते हैं, “हमने अंग्रेजों से आज़ादी देखी, लेकिन इस आज़ाद भारत में भी अगर इंसान सड़क जैसी बुनियादी सुविधा को तरसे, तो क्या यही रामराज्य है?”
👉 प्रशासन को चेतावनी – अब सड़क नहीं तो आंदोलन
ग्रामीणों ने तय कर लिया है कि अगर 15 दिनों के भीतर सड़क निर्माण की घोषणा नहीं हुई, तो वे ब्लॉक मुख्यालय से लेकर डीएम कार्यालय तक प्रदर्शन करेंगे और राज्य सरकार तक आंदोलन की चिंगारी पहुंचाएँगे।
👉 क्या ज़िला प्रशासन जागेगा?
अब देखना है कि कौशाम्बी प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार की कान पर जूं रेंगती है या नहीं। इस खबर के माध्यम से जनता की कराह पुकार बनकर निकली है। यदि अब भी कोई सुनवाई नहीं होती, तो ये लोकतंत्र के गाल पर करारा तमाचा होगा।